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सामान्यतः प्रत्येक समाचार पत्र में हम सम्पादक के नाम पत्र का एक कॉलम देखते हैं। यह कॉलम किसी भी समाचार पत्र के लिए अहम् स्थान रखता है। इस पत्र का महत्व इतना है कि यह पत्र पाठकों के मध्य समाचार पत्र की साख को बढाता है और अखबार की पारदर्शिता व निर्भिकता को प्रदर्शित करता है और अगर कोई व्यक्ति सम्पादक के नाम पत्र को ही अपना जूनून बना ले तो आप क्या कहेंगे। जी हाँ हम आपको एक ऐसे ही बुजुर्ग व्यक्ति से मिलाने जा रहे हैं जो पिछले सोलह सालों से सम्पादक के नाम पत्र लिखने का शौक पाले हुए हैं और आज तक करीब साढे चार हजार उनके ऐसे पत्रों का प्रकाशन हो चुका है। ये शख्सियत हैं बीकानेर मूल के बम्बई प्रवासी श्याम लाल जी दम्माणी। अब तक अपनी उम्र के सत्तहर साल पूरे कर चुके श्याम लाल दम्माणी का नाम आज लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। अपनी उम्र के साठवें साल में श्याम लाल दम्माणी ने सम्पादक के नाम पत्रों को लिखना शुरू किया और आज तक करीब साढे चार हजार उनके ऐसे पत्रों का प्रकाशन हो चुका है। श्याम लाल दम्माणी के ये पत्र हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी सहित गुजराती के समाचार पत्रों में छप चुके हैं। श्याम लाल दम्माणी ने अपनी स्नात्तकोत्तर शिक्षा अर्थशास्त्र में की है तथा विधि में भी स्नातक उपाधि ग्रहण की। श्याम लाल दम्माणी बॉम्बे युनिवर्सिटी में स्नात्तकोत्तर अर्थशास्त्र के स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी थे। श्याम लाल दम्माणी से जब हमने ये पूछा कि आपने यह कार्य क्यों शुरू किया तो दम्माणी जी ने बताया कि अपने साठवें जन्म दिन पर वे स्वाध्याय आंदोलन के प्रमुख व स्वनामधन्य पांडुरंग जी शास्त्री का आशीर्वाद लेने उनके घर पहचे। दम्माणी शास्त्री जी को अपना गुरू मानते है तो एक गुरू ने शिष्य से पूछा कि जिंदगी के साठ सालों म उपलब्धि क्या हासिल की तो श्याम लाल दम्माणी निरूत्तर हो गए तब गुरू पांडुरंग जी शास्त्री ने श्याम लाल दम्माणी को सम्पादक के नाम पत्र लिखने का आदेश दिया और अपने गुरू का आदेश पाते ही श्याम लाल दम्माणी ने अपना पहला सम्पादक के नाम पत्र १९९१ में लिखा और प्रसिद्ध दैनिक अखबार जनसत्ता को भेजा जिसका शीर्षक था हम कहाँ जा रहें हैं। श्याम लाल दम्माणी का यह पहला पत्र जनसत्ता में छपा और इस तरह शुरू हुआ एक सिलसिला जो २००४ तक जारी रहा। इस दौरान श्याम लाल दम्माणी देश के राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय अखबारों में अनवरत व प्रतिदिन लिखते रहे और छपने रहे। इस दौरान उन्होंने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक सहित लगभग सभी विषयों को छुआ। श्याम लाल दम्माणी ने इस दौरान हिन्दुस्तान के नामचीन सम्पादकों के सम्पादकीय पर टिप्पणियाँ की और अपना एक विशिष्ट स्थान बनाया। श्याम लाल दम्माणी के सम्पादक के नाम पत्र इंडियन एक्सप्रेस, नव भारत टाइम्स, टाइम्स ऑफ इंडिया, गुजरात समाचार, दैनिक सामना सहित देश के सभी अखबारों में छप चुके हैं। श्याम लाल दम्माणी की इस अनवरत यात्रा को लिम्का बुक ऑंफ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया। पूरे देश ने श्याम लाल दम्माणी के इस जूनून को इज्जत दी और देश भर की कईं संस्थाओं ने समय समय पर श्याम लाल दम्माणी को सम्मानित किया। श्याम लाल दम्माणी ने अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि आज भी उन्हें वह दिन याद है जब उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामनाथ गोयनका के विरोध में सम्पादक के नाम पत्र लिखा और गोयनका जी ने उसे अपने अखबार में उसको स्थान दिया और इस पत्र की प्रशंसा की। श्याम लाल दम्माणी से जब हमने पूछा की आप अब इस के बारे में क्या सोचते हैं तो दम्माणी ने बताया कि वह अपने इस कार्य से काफी प्रसन्न है और इस कार्य के कारण उनको जो सम्मान मिला है उसे गौरवान्वित महसूस करते हैं लेकिन अखबार की कुछ नीतियों को लेकर थोडी पीडा महसूस करते हुए दम्माणी ने बताया कि सम्पादक के नाम पत्र वैचारिक द्वन्द्व को अभिव्यक्त करने का सशक्त जरीया है और किसी भी समाचार पत्र का महत्वपूर्ण स्तम्भ है लेकिन कोई भी अखबार सम्पादक के नाम पत्र के लेखक को उस अखबार की एक प्रति तक उपलब्ध करवाना उचित नहीं समझता और न ही कभी लेखक को किसी प्रकार का कोई भुगतान करने की बात सोचता है। दम्माणी ने कहा कि अगर ऐसा कुछ हो जाए तो इस प्रवृत्ति को प्रेरणा मिले। श्याम लाल दम्माणी का स्वास्थ्य अब पूर्ण रूप से सही नहीं है इसलिए २००४ के बाद दम्माणी ने लिखना बंद कर दिया और अब वे ऑखों की कमजोरी के कारण लिख नहीं पाते लेकिन लिखने की तमन्ना आज भी उनके मन में है और वे इसे समय समय पर विभिन्न समारोहों में बोल कर पूरा करते हैं। श्याम लाल दम्माणी का यह प्रयास वास्तव में काबिले तारीफ है और प्रेरणादायी है और एक मिसाल है ऐसे लोगों के लिए जो उम्र के पिछले पडाव में भी कुछ करना चाहते हैं।

5 Comments " सम्पादक के नाम पत्रों ने दर्ज करवाया लिम्का बुक ऑफ रिकाड्र्स में श्याम लाल दम्माणी को "

Unknown July 9, 2009 at 11:30 AM

dammaaniji,
namaskaar !
bahut bahut badhaai aapko......
aapke swasthya ke liye
haardik shubh kaamnaayen !

राजेंद्र माहेश्वरी July 9, 2009 at 11:27 PM

हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर July 10, 2009 at 12:17 AM

badhai.narayan narayan

संगीता पुरी July 10, 2009 at 11:38 AM

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Dev July 11, 2009 at 12:13 PM

Bahut bahut badhai....

Regards..
DevPalmistry : Lines Tell the story of ur life