बचपन से ही कुछ न कुछ लिखने पढ़ने का शौक रहा है और पता नहीं क्या लिखता था बस लिख लेता था। ये जो कुछ भी मैं नीचे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूॅ वो मेरी रचना है पता नहीं कविता है या क्या है पर है बचपन के श्याम नारायण रंगा की लिखी कुछ लाईनें। यह लाईनें 29.11.92 को तब लिखी जब मेरी आयु 16 वर्ष थी और मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में कक्षा दसवीं {बी} का विद्यार्थी था।
एक दिन मैं भी नेता जैसा हो जाऊंगा,
यष, सम्मान और किर्ति को पाऊॅंगा,
भ्रष्टाचार, बेईमानी को नहीं अपनाऊंगा,
इनसे मैं परहेज रखकर,
राष्ट्र को उन्नत बनाऊंगा,
देष का नव निर्माण करके,
उन्नति के मार्ग पर लाऊंगा,
महात्मा गांधी के नियमों से,
नेहरू जी के सिद्धांतों से,
देष को समृद्ध बनाऊंगा।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,बीकानेर।
मोबाईल 9950050079
एक दिन मैं भी नेता जैसा हो जाऊंगा,
यष, सम्मान और किर्ति को पाऊॅंगा,
भ्रष्टाचार, बेईमानी को नहीं अपनाऊंगा,
इनसे मैं परहेज रखकर,
राष्ट्र को उन्नत बनाऊंगा,
देष का नव निर्माण करके,
उन्नति के मार्ग पर लाऊंगा,
महात्मा गांधी के नियमों से,
नेहरू जी के सिद्धांतों से,
देष को समृद्ध बनाऊंगा।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,बीकानेर।
मोबाईल 9950050079
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