बचपन से ही कुछ न कुछ लिखने पढ़ने का शौक रहा है और पता नहीं क्या लिखता था बस लिख लेता था। ये जो कुछ भी मैं नीचे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूॅ वो मेरी रचना है पता नहीं कविता है या क्या है पर है बचपन के श्याम नारायण रंगा की लिखी कुछ लाईनें। यह लाईनें 27.8.92 को तब लिखी जब मेरी आयु 16 वर्ष थी और मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में कक्षा जूनियर हायर सैकेण्डरी वाणिज्य वर्ग का विद्यार्थी था।
धरती का स्वर्ग जिसको ताज पहनाता,
महासागर जिसका चरण कमल है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
पंजाब बंगाल जिसके बाजू हैं,
सुभाष गांधी जैसे खिले कमल है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
गाॅंव शहर की भूमि को ओढ़ाता चीर अम्बर है,
शांति, एकता, बंधुता का मंत्र लोगों के सर है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
लोग जहां घुल मिल रहते हैं,
उन्नति के मार्ग पर ये अग्रसर है,
ऐ मेरे भारतवासियों अपना तो देष अमर है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,बीकानेर।
मोबाईल 9950050079
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Shyam Narayan Ranga श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’ |
धरती का स्वर्ग जिसको ताज पहनाता,
महासागर जिसका चरण कमल है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
पंजाब बंगाल जिसके बाजू हैं,
सुभाष गांधी जैसे खिले कमल है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
गाॅंव शहर की भूमि को ओढ़ाता चीर अम्बर है,
शांति, एकता, बंधुता का मंत्र लोगों के सर है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
लोग जहां घुल मिल रहते हैं,
उन्नति के मार्ग पर ये अग्रसर है,
ऐ मेरे भारतवासियों अपना तो देष अमर है,
ऐ मेरे विष्व बंधुओं वो मेरा भारत अमर है।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,बीकानेर।
मोबाईल 9950050079
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