यह रचना 10.03.1993 में लिखी गई थी उस समय मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में जूनियर हायर सैकेण्डरी वाणिज्य का विद्यार्थी था।
हो गयी शुरू बारिष, लगती है ठण्ड,
बूंद बूंद गिर रही है हवा चल रही ह ैमंद,
इस मौसम में मेंढ़क बोले, बच्चे खेले मिट्टी से,
घरौंदे बनाकर फिर तोड़ते, भागते हैं जल्दी से,
मस्त मस्त मौसम सुहाना,
स्कूल में शुरू हुआ पढ़ाना,
पढ़ लिख कर बनो महान,
खड़ा कर दो एक तुफान,
मन में लो ये अब ठान,
मौसम रहेगा महान।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
हो गयी शुरू बारिष, लगती है ठण्ड,
बूंद बूंद गिर रही है हवा चल रही ह ैमंद,
इस मौसम में मेंढ़क बोले, बच्चे खेले मिट्टी से,
घरौंदे बनाकर फिर तोड़ते, भागते हैं जल्दी से,
मस्त मस्त मौसम सुहाना,
स्कूल में शुरू हुआ पढ़ाना,
पढ़ लिख कर बनो महान,
खड़ा कर दो एक तुफान,
मन में लो ये अब ठान,
मौसम रहेगा महान।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
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