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शिक्षा बनाम बेरोजगारी

By SHYAM NARAYAN RANGA - Tuesday, June 30, 2015 No Comments
यह रचना 31.03.1993 में लिखी गई थी उस समय मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में जूनियर हायर सैकेण्डरी वाणिज्य का विद्यार्थी था। बेरोजगारी पर लिखी गई यह कविता शायद हर युग में प्रासंगिक है। यह कविता मेरे मन की व्यथा है और आपके और सब युवा के मन की व्यथा है ।



आज की शिक्षा से अच्छी मांगनी भिक्षा,
हो गई आज घटिया स्तर की शिक्षा।
पढ़ रहे हैं क्योंकि ज्ञान हमें पाना है,
फिर ज्ञान पूरा करके चक्कर इधर उधर लगाना है।
पढ़े लिखों में अपने को गिनाना है,
बेरोजगारों में भी अपना नाम लिखवाना है।
समाज में प्रतिष्ठित होंगे क्योंकि हम पढ़े होंगे,
घर में तिरस्कृत होंगे क्योंकि बेकार होंगे।
इससे तो अच्छा कम पढ़े
ज्ञान इतना पाएं, काम अपना कर सकें।
तभी भारती उन्नत होगी,
बेरोजगारी की किल्लत कम होगी।


श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’

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