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गुड़डी की शादी

By SHYAM NARAYAN RANGA - Tuesday, June 30, 2015 No Comments
यह रचना 17.05.1993 में लिखी गई थी उस समय मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में सीनियर हायर सैकेण्डरी वाणिज्य का विद्यार्थी था।



परीक्षा के नाम से छूटे थे पसीने,
अब तो हो गई छृट्टी, आओ खूब खेले।
पिंकी आओ डोली आओ अपनी डाॅल को संग लाओ,
आज इसकी शादी में तुम खूब मौज मनाओ,
दहेज न देना डाॅल को तुम दुल्हन की दहेज है,
एक नारा जीवन में अपनाना दहेज से परहेज है,
डाॅल हुई षिक्षित तब हुई है उसकी शादी,
शिक्षा के बिना समझ लो हो जाएगी बरबादी,
तुम भी षिक्षा पूरी करके करना अपनी शादी,
वरना बादमें पछताओगे जब हो जाएगी बरबादी,
परिणाम जब तुम्हारे आएंगे तब होवोगे पास,
निराष जिंदगी में कभी न होना, हमेषा रखना आस
न होना तुम कभी उदास न होना तुम कभी उदास


श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’

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