बचपन से ही कुछ न कुछ लिखने पढ़ने का शौक रहा है और पता नहीं क्या लिखता था बस लिख लेता था। ये जो कुछ भी मैं नीचे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूॅ वो मेरी रचना है पता नहीं कविता है या क्या है पर है बचपन के श्याम नारायण रंगा की लिखी कुछ लाईनें। यह लाईनें 28.03.91 को तब लिखी जब मेरी आयु 15 वर्ष थी और मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में कक्षा नौवीं का विद्यार्थी था।
माॅं ने सुनाई एक कहानी,
एक था राजा एक थी रानी,
दोनों मर गए खतम कहानी।
माॅं से हमने कही ये बात,
कहानी तो है बहुत पुरानी,
हमें सुनाओं नई कहानी।
माॅं ने सुनाई नई कहानी,
ये है भ्रष्टाचारियों की कहानी,
आज के राजनेताओं की कहानी
अय्याषी में लुटा रहे हैं जो शहीदों की कुर्बानी,
नहीं रहे अब ये हिन्दुस्तानी।
आओ साथियों हम बनाएॅं भारत की एक नई कहानी,
उसमें न होगा भ्रष्टाचार न होगा बेईमानी,
गणराज्य की होगी वह कहानी,
न भ्रष्टाचार न बेईमानी।
अनमोल वचन:- भ्रष्टाचार व बेईमानी आदमी को अंधा कर देते हैं उसमें आदमी बेईमानी पर बेईमानी करता जाता है। अतः ये दोनों देष के लिए श्राप है।
-श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर ।
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Shyam Narayan Ranga श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’ |
माॅं ने सुनाई एक कहानी,
एक था राजा एक थी रानी,
दोनों मर गए खतम कहानी।
माॅं से हमने कही ये बात,
कहानी तो है बहुत पुरानी,
हमें सुनाओं नई कहानी।
माॅं ने सुनाई नई कहानी,
ये है भ्रष्टाचारियों की कहानी,
आज के राजनेताओं की कहानी
अय्याषी में लुटा रहे हैं जो शहीदों की कुर्बानी,
नहीं रहे अब ये हिन्दुस्तानी।
आओ साथियों हम बनाएॅं भारत की एक नई कहानी,
उसमें न होगा भ्रष्टाचार न होगा बेईमानी,
गणराज्य की होगी वह कहानी,
न भ्रष्टाचार न बेईमानी।
अनमोल वचन:- भ्रष्टाचार व बेईमानी आदमी को अंधा कर देते हैं उसमें आदमी बेईमानी पर बेईमानी करता जाता है। अतः ये दोनों देष के लिए श्राप है।
-श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर ।
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