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bikaner holi thamb poojan |
बीकानेर सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है और होली के मौके पर बीकानेर की संस्कृति खुल कर सामने आती है। आज खेलनी सप्तमी है। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि खेलनी सप्तमी के रूप में बीकानेर में मनाई जाती है। इस दिन बीकानेर के शाकद्धिपीय समाज के लोग शहर के बाहर स्थित नागणेची मंदिर के पुजारी है और इस समाज के लोग माॅं नागणेची को फाग खेलाते हैं और गैर के रूप में फाग व गैर के गीत गाते हुए शहर में गोगागेट से प्रवेष करते हैं। वास्तव में यह सूचना होती है पूरे बीकानेर को कि मां ने फाग खेल ली है और आज से शहर में होली के कार्यक्रम चालू हो सकते हैं। शाकद्विपीय समाज के लोग गोगागेट से होते हुए रांगड़ी चैक, बाजार होते हुए मुंधाड़ा सेवगों का चैक व पूरे शहर में गैर निकालते हैं और अपने इस महत्वपूर्ण महंत दायित्व का निर्वहन करते हैं कि देवी देवताओं की स्वीकृति हो चुकी है आओ सब मिलकर होली का त्यौंहार मनाए। इसी दिन मरूनायक चैक में थम्ब पूजन किया जाता है और इसी के साथ शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। मरूनायक चैक में थम्ब पूजन के अगले दिन बीकानेर के कईं और चैकों में भी थम्ब पूजन होता है। थम्ब पूजन में गणेष भगवान, विष्णु भगवान सहित कईं देवी देवताओं का पूजन होता है और एक स्वीकृति होती है कि होली के कार्यक्रम शुरू कर लिए जाए। अलग अलग जाति के लोग अपने अपने चैक में थम्ब पूजन करते हैं। यह थम्ब लाल रंग का होता है और इस पर गणेष भगवान सहित कईं देवी देवताओं के चित्र होते हैं। होली त्यौंहार समृद्धि का उल्लास का उमंग का मस्ती का और बीकानेर शहर एक आलीजा शहर जहां पर होली में उमंग उल्लास मस्ती परवान पर होती है। यहां के लोग देवी देवताओं के प्रति आस्था व श्रद्धा रखते हैं और यह खेलनी सप्तमी और थम्ब पूजन व विभिन्न रम्मतों में देवी देवीताओं की पूजा के साथ रम्मतों की शुरूआत इस बात का प्रतीक है कि बीकानेरी देवी देवताओं व धार्मिक आस्थाओं को साथ रखकर ही त्यौंहार मनाते हैं।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
Shyam Narayan Ranga
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