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जब याद तुम्हारी आती है मैं दीप खुशी के जलाता हूॅं
तेरी यादों की बाती में अपने को तेल बनाता हूॅं
मेरे प्रियतम यूं तेरे संग मैं रोज दिवाली मनाता हॅंू 
                 
                                                                           

मेरे जीवन का प्रकाश हो तुम
तुम ही हो मेरा धन वैभव
तुमसे ही मेरा उत्सव है
यह सोचकर के इतराता हूॅं
मेरे प्रियतम यूं तेरे संग मैं रोज दिवाली मनाता हॅूं

तुम ही मेरा पटाखा हो
तुम ही हो मेरी फुलझडी
तुम ही अनार बम चकरी हो
तुम बेमौसम न फट जाओ
ये सोचकर के घबराता हूॅं
मेरे प्रियतम यूं तेरे संग मैं रोज दिवाली मनाता हूॅं

मैं चातक सा न तडफूंगा
मेरे चांद तुझ पर है इतना यकीं
मैं सीप सी तमन्ना लिए हुवे
बूंदों को मोती बनाता हूॅं
मेरे प्रियतम यूं तेरे संग मैं रोज दिवाली मनाता हूॅं


श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’



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