ये रचना मैंने 25.1.94 को लिखी जब मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में सीनियर हायर सैकेण्डरी वाणिज्य वर्ग का विद्यार्थी था। उस समय मेरी उम्र 18 साल की थी और मेरी यह रचना जब मैंने आज देखी पढ़ी तो मेरे मन मंे आया कि शायद कोई था जिसके लिए यह रचनाएं लिखी गई होगी। उम्मीद है पंसद आएगी और नहीं भी आए तो पढ़ लेना भाई शायद खुद को स्कूल का समय याद आ जाए।
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Shyam Narayan Ranga श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’ |
मेरा संसार तुम ही हो, मेरा प्यार तुम ही हो,
मेरे दिल के उपवन की बहार तुम ही हो।
तुम्हें न देखूं तो चैन नहीं आता,
तुमसे यह दूरी सह नहीं पाता।
तुम्हारे आने से मेरा दिल का चिराग रोषन हो गया,
तुम्हे देखकर मैं तो तुम्हारे में ही खो गया।
एक ही झटके में मेरा दिल तुम ले गई,
अब तो मैं तुम्हारा, तुम मेरी हो गई।
तुम बिन ये दिल कहीं नहीं लगता,
अभी मेरा क्या हाल है बयां नहीं कर सकता।
तुम्ही मेरे ख्यालों में हो सुबह शाम,
कर दिया तुमने मेरा आराम हराम।
तुम मुझे देखो मैं तुम्हे देखूं, यही चाहता है दिल,
कहना तो बहुत कुछ है पर कह नहीं पाता है दिल।
आपके पैगाम का इंतजार हम करेंगे,
तुम्हे याद हर पल सुबह शाम करेंगे।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
नत्थूसर गेट के बाहर
पुष्करणा स्टेडियम के पास
बीकानेर {राजस्थान} 334004
मोबाईल 9950050079
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