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सत्यता

By SHYAM NARAYAN RANGA - Thursday, June 25, 2015 No Comments
बचपन से ही कुछ न कुछ लिखने पढ़ने का शौक रहा है और पता नहीं क्या लिखता था बस लिख लेता था। ये जो कुछ भी मैं नीचे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूॅ वो मेरी रचना है । यह रचना तब की है जब भारत ने पोकरण में परमाणु बम का परीक्षण किया था पता नहीं क्यों मेरे दिमाग में यह बात भी उस समय आई कि आज भारत में भूखमरी है दरिद्रता है और इसके कारण लोग कर रहे हैं और हम इस तरह के कागजी शेरों पर अपना धन बर्बाद कर रहे है। पता नहीं कविता है या क्या है पर है बचपन के श्याम नारायण रंगा की लिखी कुछ लाईनें। यह लाईनें 14.11.92 को तब लिखी जब मेरी आयु 17 वर्ष थी और मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में कक्षा जूनियर हायर सैकेण्डरी वाणिज्य वर्ग का विद्यार्थी था।
Shyam Narayan Ranga
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’


रो रहा है भविष्य आज, देखकर वर्तमान को,
क्यों नहीं छोड़ता मनुष्य, अपने झूठे अभिमान को।

कागजी शेरों पर वो लगाता है धन आपार,
क्यों उस झोंपड़ी में बैठा है वो बीमार !

तैयार देख ‘षेर’ को जयकार वो करता है,
झोपड़ी में शव के पास क्यों वो बच्चा रोता है !

शेर की दहाड़ में रोने की आवाज छिप गई,
क्या उसकी चिता की आग में सत्यता भी जल गई।

क्यों नहीं दिलाता वो घर उस कंगाल को,
कोस रहा है जो आज अपने ही फटे हाल को।


श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,बीकानेर।
मोबाईल 9950050079

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