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साम्प्रदायिकता

By SHYAM NARAYAN RANGA - Friday, June 26, 2015 No Comments
बचपन से ही कुछ ना कुछ लिखकर रख लेने की आदत थी फिर स्कूल समय से ही रचनाएॅं लिखता रहा हूॅं। आज काफी समय  बाद मौका मिला अपने ब्लाॅग पर इन रचनाओं को आप सबके सम्मुख रखने का तो मेरा यह बचपन का प्रयास आप सबके सामने रख रहा हूॅं। इन्टरनेट के इस युग में जो है जैसा है बिना सम्पादित रखने का अधिकार सबको मिला है बस आपसे निवेदन है कि पढ़ते वक्त यह याद रखे कि जब मैंने यह लिखा जब मेरी उम्र 17 साल की थी और दिनांक 20.12.1992 को लिखा गया था और उस समय मैं राजस्थान बाल मंदिर स्कूल में जूनियन हायर सैकेण्डरी वाणिज्य वर्ग का विद्यार्थी था।


रो रही है मानवता, मानव के हाल को,
क्या हो गया है, भारत के लाल को।
गाॅंधी ईसा को छोड़ साम्प्रदायिकता फैलाता है,
राम खुदा के नाम पर खून वो बहाता है।
अपने हक के लिए दूसरे का कि छिनता है,
एक मंदिर के लिए मस्जिद वो गिराता है।
क्रूरता का ये जहर मत घोलो अपने देष में,
मत लूटो अपने वतन को डाकूओं के वेष में।
छोड़ कर जातिगत वैर विकास भारत का करो
अपने ही सुकर्मों से उज्जवल भारत को करो।


श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
नत्थूसर गेट के बाहर
पुष्करणा स्टेडियम के पास
बीकानेर
मोबाईल 9950050079

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