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Shyam Narayan Ranga Bissa chowk rammat holi bikaner |
बिस्सों के चैक में होली के अवसर पर शहजादी नौटंकी का मंचन किया जाता है। यह रम्मत उस्ताद रमण सा बिस्सा की रम्मत के नाम से जानी जाती है। इस रम्मत में सर्वप्रथम बीकानेर के पुष्करणा समाज के बिस्सा जाति की कुलदेवी माॅ आषापुरा का आगमन होता है। इस रम्मत का यह दृष्य देखने लायक होता है।
रात को बारह बजे जब माॅ आषापुरा का अवतरण होता है माॅ की जयकार से और अम्बे अम्बे जय जगदम्बे के स्वर से पूरा चैक ही नहीं बीकानेर परकोटे का भीतरी हिस्सा गूंजायमान हो जाता है। इस समय बिस्सों के चैक में इतनी भीड़ होती है कि सूंई रखने को जगह नहीं होती है। माॅं के अवतरण के साथ ही नवविवाहित जोड़े व नवजात षिषुओं को माॅं के आषीर्वाद के चैक में लाया जाता है और माॅं के चरणों में आषीर्वाद लेने की होड़ लग जाती है। इस रम्मत में माॅं के अवतरण के समय माॅं आषापुरा के भजन गाए जाते हैं। इसके बाद खाकी आयो झूम के के स्वर के साथ रम्मत के अखाड़े में खाकी का आगमन होता है जो बच्चों का मनोरंजन करता है और तत्पष्चात बोहरा बोहरी का आगमन होता है और बाद में शुरू होता है शहजादी नौटंकी का मंचन। इसके प्रमुख कलाकार किसन कुमार बिस्सा व रामकुमार बिस्सा है जो उस्ताद रमणसा के बेटे हैं। इसके साथ और भी कलाकार इस रम्मत में अपना अपना रोल अदा करते हैं। पूरी रात तक पद्यात्मक संवादों के साथ चलने वाली इस नाट्य विद्या को स्थानीय कलाकार बड़ी सहजता से निभाते हैं। सुबह माता के भजन व लोककल्याण की भावना के साथ इस रम्मत का समापन होता है।
रात को बारह बजे जब माॅ आषापुरा का अवतरण होता है माॅ की जयकार से और अम्बे अम्बे जय जगदम्बे के स्वर से पूरा चैक ही नहीं बीकानेर परकोटे का भीतरी हिस्सा गूंजायमान हो जाता है। इस समय बिस्सों के चैक में इतनी भीड़ होती है कि सूंई रखने को जगह नहीं होती है। माॅं के अवतरण के साथ ही नवविवाहित जोड़े व नवजात षिषुओं को माॅं के आषीर्वाद के चैक में लाया जाता है और माॅं के चरणों में आषीर्वाद लेने की होड़ लग जाती है। इस रम्मत में माॅं के अवतरण के समय माॅं आषापुरा के भजन गाए जाते हैं। इसके बाद खाकी आयो झूम के के स्वर के साथ रम्मत के अखाड़े में खाकी का आगमन होता है जो बच्चों का मनोरंजन करता है और तत्पष्चात बोहरा बोहरी का आगमन होता है और बाद में शुरू होता है शहजादी नौटंकी का मंचन। इसके प्रमुख कलाकार किसन कुमार बिस्सा व रामकुमार बिस्सा है जो उस्ताद रमणसा के बेटे हैं। इसके साथ और भी कलाकार इस रम्मत में अपना अपना रोल अदा करते हैं। पूरी रात तक पद्यात्मक संवादों के साथ चलने वाली इस नाट्य विद्या को स्थानीय कलाकार बड़ी सहजता से निभाते हैं। सुबह माता के भजन व लोककल्याण की भावना के साथ इस रम्मत का समापन होता है।
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उस्ताद रमणसा की रम्मत: शहजादी नौटंकी श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’ |
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