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मोदी का डर और नेहरू गांधी

By SHYAM NARAYAN RANGA - Monday, November 3, 2014 No Comments
SHYAM NARAYAN RANGA 
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरदार पटेल की जयंती मनाने में इतने व्यस्त रहे कि वे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की समाधि पर जाकर श्रद्धांजलि तक अर्पित नहीं कर पाए। ये इस देष की परम्परा रही है कि वर्तमान प्रधानमंत्री पूर्व प्रधानमंत्री की समाधि पर जाता है और श्रद्धा से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इसे राजधर्म कह सकते हैं और जिस पद पर व्यक्ति है उस पद की गरिमा की बात भी कही जा सकती है। परन्तु भारतीय सभ्यता और संस्कृति का सबसे ज्यादा ढिंढोरा पीटने वाली पार्टी के नेता द्वारा यह एक असांस्कृतिक कदम निष्चित ही चैंकाने वाला है। किसी भी राजनेता का कोई भी कदम राजनीति की आहट देता है। इसी तरह मोदी जी का इंदिरा जी की समाधि पर नहीं जाना भी किसी न किसी विचार या मन की थाह की पहचान बताता है। भारतीय जनता पार्टी की मुष्किल ये है कि उनके पास अपना कोई इतिहास नहीं है और या यूूं कहे कि ऐसा कोई इतिहास नहीं है जिसको वे देष की आजादी या राष्ट्रभक्ति से जोड़ सके। इसलिए ऐतिहासिक नेता के अभाव में इस पार्टी ने सरदार पटेल को पकड़ा और उसको भुनाना शुरू कर दिया। ये तो वो ही बात हुई कि जिनके खुद के बाप दादाओं का इतिहास नहीं होता वो बाजार से कोई अच्छा सा फोटो लाकर आंगन में लगा दे और आने जाने वालों को बताए कि ये हैं मेरे दादाजी। भारतीय जनता पार्टी की पृष्ठभूमि संघ की रही है और संघ पर किसी समय गांधी की हत्या के आरोप लगे और इन्हीं लौह पुरूष ने संघ पर अपने हस्ताक्षरों से पाबंदी लगाई थी और इसको राष्ट्र को खतरा देने वाला संगठन बताया था। पटेल कांग्रेसी थे भले ही उनके नेहरू से विवाद रहे हो परंतु विचारधारा कंाग्रेसी ही थी और उन्होंने अपने विचार को कभी इतना उग्र नहीं होने दिया और वे हमेषा कांग्रेस में उदारवादी नेता के रूप में नजर आए। इसी ऐतिहासिक कांग्रेसी नेता को अपना बताकर महान् नेत्री आयरन लेडी इंदिरा गांधी की अनेदखी करना प्रधानमंत्री मोदी जी की किस मानसिकता को बताता है यह कहने की जरूरत नहीं है।
PT. JAWAHAR LAL NEHRU



यूं देखा जाए तो कांग्रेस के विरोधी लोग कभी कांग्रेस से नहीं डरते उनका डर हमेषा नेहरू और गांधी से रहा है। मोदी जी कांग्रेस विरोधी होने के नाते ये अच्छे से जानते हैं कि कंाग्रेस संगठन से उनको कोई खतरा नहीं है परंतु नेहरू गांधी खानदान हमेषा उनकी भावी राहों में भी रोड़ा बना रहेगा। मोदी जी एक श्रेष्ठ राजनेता होने के नाते ये भी जानते हैं कि जब तक इस देष में नेहरू और इंदिरा और गांधी जी का नाम रहेगा तब तक कांग्रेस संगठन जिंदा रहेगा और उसका अस्तित्व बना रहेगा। इसलिए मोदी जी दो अक्टूबर की छुट्टी को हमेषा के लिए निरस्त कर स्वच्छता का नारा दिया। ये मोदी जी की मजबूरी है कि महात्मा गांधी का कद इतना बड़ा है कि उनको उपेक्षित भारत में कभी नहीं किया जा सकता परंतु दो अक्टूबर की छुट्टी के नाम पर महात्मा गांधी हमेषा किसी न किसी रूप में याद रहेंगे तो क्यूं न जड़ पर ही चोट की जाए और ये छुट्टी रद्द कर दी जाए ताकि आने वाले समय में अभियान तो लोग भूल ही जाएंगे और गांधी भी धीरे धीरे भूला दिए जाएंगे। यही डर नेहरू और इंदिरा से मोदी जी को सता रहा है और इंदिरा जी की पुण्यतिथि पर उनको श्रद्धांजलि देने नहीं जाना इसी रणनीति का हिस्सा है कि क्यूं इंदिरा जी को याद किया जाए क्यूंकि जब तक इंदिरा जी याद रहेगी उनके कार्य याद रहेंगे उनको आयरन लेडी के रूप में याद किया जाएगा तब तक कांग्रेसी की जड़ों में पानी जाता रहेगा तो क्यूं न इंदिरा को उपेक्षित किया जाए और यही डर मोदी जी को शक्ति स्थल जाने से रोक रहा है। नेहरू की तो आलोचना मोदीजी और संघ शुरू से ही करते रहे हैं। तो वास्तव में ये सिर्फ इंदिरा जी को श्रद्धांजलि नहीं देने तक की बात नहीं है ये विचारधारा की लड़ाई का एक हिस्सा है और कांग्रेस की मूल जड़ को समाप्त करने की रणनीति है कि कैसे करके कांग्रेस को समाप्त किया जाए और ये प्रयास आज से नहीं आजादी के बाद से हो रहे हैं और पिछले लोकसभा चुनावों में पहली बार कांग्रेसी की धुर विरोधी पार्टी को मौका मिला है पूर्ण बहुमत में सत्ता में आने का तो निष्चत रूप से ये लोग अपनी रणनीति और विचारधारा को लागू करने के प्रयास करेंगे। लेकिन शायद मोदी जी भूल रहे हैं कि जब तब आधुनिक भारत के निर्माता की बात होगी तब तब नेहरू याद आएंगे। जब जब देष में बड़ी बड़ी योजनाओं को देखा जाएगा। भेल, सेल, सरदार सरोवर आदि आदि देखे जाएंगे तब तब नेहरू याद आएंगे। जब जब पंचषील के सिद्धांतों की बात होगी नेहरू याद आएंगे। जब जब पाकिस्तान के दो टुकड़े कर अलग बांग्लादेष बनाने की बात होगी इंदिरा गांधी याद आएगी, जब जब बैंको के राष्ट्रीयकरण की बात होगी, जब जब देषी राजाओं के प्रिवी पर्स बंद करने की बता होगी, जब आॅपरेषन ब्लू स्टार करके देष को आतंकवादियों से मुक्त करवाने की बात होगी तब तब इंदिरा गांधी याद आएगी और रही बात महात्मा गांधी की तो वो इस देष की आत्मा है और इस देष की रग रग में गांधी का वास है। भारत की जीवनषैली के रोम रोम में गांधीवाद भरा है इसलिए इन लोगों से मुक्त होकर देष को देखना मुर्खता है। आज अगर मोदी जी सही को सही कहें और गांधी, नेहरू, इंदिरा के दिए योगदान को याद रखें और उनके विकास को आगे ले जाने की बात करें तो अच्छा लगता। मोदी जी की कार्यषैली भी इंदिरा गांधी जैसी ही है फिर क्यूं डर सता रहा है मोदी जी को। भारत के प्रधानमंत्री को दिमाग खुला व दिल बड़ा रखना चाहिए क्यूंकि भारत सिर्फ गुजरात नहीं है और न ही भारत का मतलब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से है। 
INDRA GANDHI


श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’पुष्करणा स्टेडियम के पास,नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर {राज0}मोबाईल - 9950050079

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