कुश्ती भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे प्राचीनतम खेल है। रामायण, महाभारत काल में भी इस खेल के संकेत मिलते हैं। भारत में भी कई विश्वविजयी पहलवान पैदा हुए हैं। गामा से लेकर दारासिंह तक के नाम की एक लम्बी कतार को उसमें गिना जा सकता है। इसी का परिणाम है कि आज भी भारत के पास अन्तर्राष्ट्रीय पहलवानों की एक लम्बी कतार है। बीकानेर के एक ऐसे ही पहलवान नृ
सिंह लाल किराडू हैं जो कि न केवल बीकानेर बल्कि पूरे कुश्ती जगत में मनोहर पहलवान के नाम से विख्यात है।

इनका जन्म १५ अगस्त,१९४७ को बीकानेर में हुआ। इनके पिता का नाम दुर्गादत्त किराडू था। जो अपने समय में प्रथम श्रेणी के नगर दण्डनायक थे। आपकी शिक्षा बीकानेर में हुई। आपने शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। आपने एम.ए.इतिहास, एल.एल.बी, डी.पी.एड., डी.ए.के.एस. जैसी कई महत्वपूर्ण डिग्रियां हासिल की हैं।कुश्ती के क्षेत्र में आपने कई सफलताएं हासिल हैं। आप अपने समय में राजस्थान विश्वविद्यालय में अपने भार वर्ग में लगातार तीन साल (१९६४-६५, ६५-६६, ६७-६८) तक विजेता रहे। १९६५-६६ में आप राजस्थान विश्वविद्यालय के कप्तान भी रहे। १९६७-६८ में आपने ऑल इंडिया एण्ड सिलोन इंटर यूनिवर्सिटी रेस्टलिंग प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त किया। यहां पर किराडू ने एक रिकार्ड भी बनाया जो आज तक विद्यमान है। आपने यहां पर ६ सैकेण्ड में कुश्ती जीतकर न टूटने वाला रिकार्ड बनाया। आपकी विशेषता यह रही है कि अपने अधिकतर कुश्तिायां सैंकेण्डों में ही जीती हैं। इसी वर्ष आपको कम्बाईड यूनिवर्सिटी कैंप के लिए भी चयनित किया गया। इसी वर्ष ’’भारत कुमार‘‘ दंगल के लिए भी राजस्थान विश्वविद्यालय से चयनित हुए। किराडू न केवल एक अच्छे पहलवान बल्कि बहुत अच्छे वेटलिफ्टर व बॉडी बिल्डर भी रह चुके हैं। आपने इन खेलों में भी उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की हैं। आप १९६९-७० में वेटलिफ्टिंग में राजस्थान विश्वविद्यालय के अपने भार वर्ग में विजेता रहे। राज्य स्तर पर १९७०-७१ में आपने प्रथम स्थान प्राप्त किया। आपकी प्रेस पूरे राजस्थान में सर्वाधिक हुआ करती थी। आपने १९६७-६८ में ’’मि. यूनिवर्सिटी‘‘ होने का भी गौरव प्राप्त किया।मनोहर जी पूरे राजस्थान के एक मात्र ऐेसे खिलाडी है कि जिन्होने एक ही वर्ष में कुश्ती, वेटलिफ्टिंग व शरीर सौष्ठव प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया हो। यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है।आप उपरोक्त तीनों खेलों के अच्छे खिलाडी ही नहीं वरन् अच्छे प्रशिक्षक भी साबित हुए हैं। आपने तीनों खेलों के सैकडों राष्ट्रीय स्तर के खिलाडी तैयार किये हैं जिन्होने अपने अपने खेलों में राजस्थान का नाम रोशन किया है। किराडू को बीकानेर भारोत्तोलन का भीष्म पितामह भी कहा जा सकता है। क्योंकि वेटलिफ्टिंग, पॉवर लिफ्टिंग आदि खेलों को सर्वप्रथम आपने ही बीकानेर में शुरू कराया। बीकानेर भारोतोलन का इतिहास आपसे शुरू होता है।वर्तमान में आप पिछले ३५ वर्षो से मारूति व्यायाम मंदिर में अवैतानिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। आफ ही नेतृत्व में मारूति व्यायाम मंदिर द्वारा मारूति कप फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन लगातार ८ वर्षों तक किया गया। जिसमें समस्त राजस्थान की टीमें भाग लेती थी। आप प्रो. आर. के. रंगा के भी प्रिय शिष्य रहे हैं। उनसे आपने शरीर सौष्ठव, योग, आँख से लोहे का सरिया मोडना आदि दुर्लभ चीजें भी सीखी। इसके अलावा (खेल के) आपको वुड फॉसल्स (काष्ठावेश संग्रह) संग्रहण का भी शौक रहा है। बीकानेर में ७ से ११ करोड वर्ष पुराने काष्ठावेशषों की खोजकर आपने भूगर्भशास्त्र शोध के क्षेत्र में सभी को अचंभित कर दिया। आफ इस संग्रह पर बीकानेर के डॉ. राकेश हर्ष ने पी.एच.डी. की डिग्री भी प्राप्त की है। इसी कारण १९९४ में जिलाधीश बीकानेर ने २६ जनवरी के दिन आपको सम्मानित भी किया। अलख सांस्कृतिक मंच ने इनके संग्रह की प्रदर्शनी भी लगाई।इसके साथ ही श्रीकिराडू भारत के सर्वाधिक काष्ठावशेष संग्रही के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी सन् २००० में दर्ज हो चुके हैं। इसके अलावा २००३ में जयपुर में गणतंत्र दिवस के मौक पर तत्कालीन राज्यपाल अंशुमानसिंह ने भी श्री नृसिंह लाल किराडू को विशेष रूप से सम्मानित किया है। किराडू को नगर विकास न्यास बीकानेर द्वारा भी सन् २००० में डॉ करणींसह खेल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा राव बीदाजी संस्थान द्वारा राव बीकाजी अवार्ड व राजीव यूथ कल्ब द्वारा राजीव रत्न अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं।
4 Comments " बीकानेर की कुश्ती के गौरव - नृसिंह लाल किराडू "
sir ji isme ek naam or add ho sakta hai.. means next blog mai.. aise he koi hasti ka naam with pic aa sakta hai.. aage aap ki margiiiiiiiiiiiii
शानदार
शानदार
Nice
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