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लोकतंत्र मे विचार की लड़ाई

By SHYAM NARAYAN RANGA - Sunday, February 14, 2016 No Comments
देश वर्तमान मे वैचारिक लड़ाई के दौर से गुजर रहा है
एक तरफ वो लोग है जो सिर्फ अपने आप को ही सही बताने मे जूटे है और दूसरी तरफ वो सोच है जिसने बरसो भारत पर राज किया है
एक तरफ इस देश को एक आँख से देखने की कोशिश हो रही है वहीँ दूसरी तरफ ये देश सैकड़ो उम्मीदों के साथ अटल खड़ा है

कुछ वे लोग जो दशको सत्ता के लिए तड़फने के बाद कुर्सी पर आये है और जबरस्ती अपनी सोच पुरे देश पर थोपना चाहते है. ये वे लोग हैं जो शायद लोकतंत्र को सिर्फ अपनी नजर से देख रहे है और दूसरी प्रत्येक सोच और विचार को देशद्रोही ही बताने की कोशिश कर रहे है
ये लोग जानते नहीं की लोकतंत्र दुधारी तलवार है इससे जब तक अपनी रक्षा की जाये ये सफलता दिलाती है पर जब भी लोकतंत्र मे सामने के विचार को दबाने और कुचलने का प्रयास है तब तब लोकतंत्र तो मजबूत हुआ है परन्तु ऐसे कुत्सित प्रयास करने वाले हमेशा के लिए मिट गए
जब जब सत्ता के मद ने लोकतंत्र की ह्त्या करने की कोशिश की तब तब इस देश की इंद्रा मजबूत हुई और तब तब ऐसे मोरारजी और चरण सिंह को हारना पड़ा
भारत की नीव एक बड़े विचार पर खड़ी है एक ऐसे सोच ने हमेशा भारत को हमेशा एक रखा है जहाँ वो सबसे पहले भारतीय है बाद मे कोई और
और जब भी इस सांस्कृतिक ताने बाने से किसी ने छेड़छाड़ की तब तब ऐसे ओरगजेब इतिहास से मिटा दिए गए तब तब ऐसे अंग्रेजो को मजबूत गांधी ने धुल चटवाई
ये भारत की वैचारिक मजबूती का ही कारण रहा की यहाँ गांधी और नेहरू जैसे लोगो को नेतृत्व करने का मौका मिला और ऐसी सोच पर हमेशा से ही गोडसे जैसे लोग गोली ताने खड़े रहे परंतु जब जब ऐसे गोडसे ने गोली चलाई तब तब ऐसे गांधी पूरी ताकत के साथ भारत पर दशको राज करते रहे
आज भी भारत कुछ जबरदस्ती थोपी जाने वाली ताक़तों के शिकंजे मे है पर मैंबताना चाहूँगा की ये पकड़ कभी मजबूती नहीं बना पाई और अब भी नहीं बना पाएगी
आज देश को संकीर्ण नहीं उदार सोच की जरुरत है
जब भारत का मित्तल अम्बानी और टाटा बिरला विदेशो मे पैसे और नाम कमाकर आता है तब आप उसका बाहे फैलाकर स्वागत गर्मजोशी से करते है और जब भी कोई टाटा या पेप्सी आपके देश मे आता है तो आप स्वदेशी का राग अलाप कर अपना शोर मचाते है
ये दोगला चरित्र अब नहीं चलेगा
गांधी को मारने वाले गोडसे की किताबो का विमोचन करने वाले लोगो आज भी इंग्लॅण्ड और अन्यदेशो मे जाकर गांधी1की मूर्ति के आगे सर झुकाते है क्योंकि वो जानते है की ये देश गांधी की सोच पर चल कर ही इस मुकाम पर पहुंचा है और ये ही रास्ता आगे ले जाएगा
यहाँ कोई एकात्मक मानवतावाद की जूठी बाते मानव की एकता तोड़कर नहीं चलाई जा सकती
आज जरुरत है ऐसी ताक़तों के खिलाफ डटकर खड़े होने की
इनसे डरना नहीं है क्योंकि ये एक जूठ भले सौ बार बोलकर सच बनाने की कोशिश करे परंतु सच हमेशा सच रहेगा भारत मे हमेशा
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम
सबको सन्मति दे भगवान
के नारे गूंजते रहेंगे

-श्याम नारायण रंगा

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