ये क्षणिकाएं मैनं 11.01.95 को तब लिखी थी तब लिखी थी जब मैं श्री जैन पी जी महाविद्यालय बीकानेर में वाणिज्य प्रथम वर्ष का छात्र था। उस समय मेरी उम्र 19 साल की थी।
फूल के चले जाने के बाद भी उसकी सुगन्ध रह जाती है,
दिलदार के चले जाने के बाद भी उसकी याद आती है।
देखते ही तस्वीर आती है याद,
दिलदार का पता चलता है उसके चले जाने के बाद।
यही हो उद्देष्य हमारा,
स्वच्छ रहे पर्यावरण सारा।
अगर जीवन को जीना होगा,
स्वच्छ पर्यावरण रखना होगा।
नहीं मांगेगा कोई भी भिक्षा,
अगर होगी कम जनसंख्या।
मानवता का ये पैगाम,
मनुष्य मनुष्य है एक समान।
जब होगी कम जनसंख्या हमारी,
तभी सुखी रहेंगे नर नारी और प्राणी।
चाहे हो सिक्ख, हिन्दू या मुसलमान,
खून का रंग है एक समान।
होगा खुषहाल देष सारा,
जब होगा स्वच्छ पर्यावरण हमारा।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,
बीकानेर - 334004
मोबाईल 9950050079
फूल के चले जाने के बाद भी उसकी सुगन्ध रह जाती है,
दिलदार के चले जाने के बाद भी उसकी याद आती है।
देखते ही तस्वीर आती है याद,
दिलदार का पता चलता है उसके चले जाने के बाद।
यही हो उद्देष्य हमारा,
स्वच्छ रहे पर्यावरण सारा।
अगर जीवन को जीना होगा,
स्वच्छ पर्यावरण रखना होगा।
नहीं मांगेगा कोई भी भिक्षा,
अगर होगी कम जनसंख्या।
मानवता का ये पैगाम,
मनुष्य मनुष्य है एक समान।
जब होगी कम जनसंख्या हमारी,
तभी सुखी रहेंगे नर नारी और प्राणी।
चाहे हो सिक्ख, हिन्दू या मुसलमान,
खून का रंग है एक समान।
होगा खुषहाल देष सारा,
जब होगा स्वच्छ पर्यावरण हमारा।
श्याम नारायण रंगा ‘अभिमन्यु’
पुष्करणा स्टेडियम के पास,
नत्थूसर गेट के बाहर,
बीकानेर - 334004
मोबाईल 9950050079
No Comment to " क्षणिकाएॅं "
Post a Comment