

चलाना चाहता है। राम मंदिर बने तो अच्छा है इस देश का हर हिंदू उसे देखने जरूर जाएगा और भगवान राम की जयकार कर वापस अपने घर लौट आएगा और अगर मजिस्द बने तो भी बढया है जिसमें नमाज अदा करने मुसलमान चले जाएंगे और वापस अपनी आम जिंदगी जीने लगेंगे। तो क्यो न इस देश के नेता और बडे बडे हूक्मरान अपना समय और धन इस बात में नहीं लगाते कि इस देश की आर्थिक स्थिति कैसे सुधारी जाए, प्रति व्यक्ति आय में कैसे बढोतरी की जाए सकल राष्ट्रीय आय को कैसे बढाया जाए और कैसे भारत के अस्सी प्रतिशत लोगों को भी बाकी बीस प्रतिशत की जिंदगी देने का प्रयास किया जाय। न तो मंदिर की घंटी से घर में रोटी बनेगी और न ही मस्जिद की अजान से चूल्हा जलेगा। रोटी और चूल्हा मेहनत करने से प्राप्त होगा तो क्यों नहीं इस देश के नेता इस बात में अपनी ऊर्जा खर्च करते की कैसे मेहनतकस को उसकी मजदूरी का पूरा हिस्सा मिले। जिस दिन इस देश में मेहनत ओर कर्म की कमाई की इज्जत होगी और प्रत्येक भारतीय को अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा उस दिन इस देश में एक मंदिर या एक मस्जिद तो क्या हजारों मंदिर और मस्जिद खडे हो जाएंगे और उनके खडे होने में किसी सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला नहीं सुनाना पडेगा। ऐसे मंदिरों में और मस्जिदों में जो सर सजदा होंगे और जो मह आरतियाँ गाएंगे उनके मन में न तो भय होगा और न ही नफरत, उन अजानों और आरतियों से एक ही आवाज आएगी
-- महजब नहीं सीखाता आपस में बैर रखना, हिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा........
श्याम नारायण रंगा ’अभिमन्यु‘
पुष्करणा स्टेडियम के पास, नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर
पुष्करणा स्टेडियम के पास, नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर
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