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हिन्दी है हम वतन है, हिन्दोस्तां हमारा

By SHYAM NARAYAN RANGA - Friday, September 12, 2014 No Comments

Shyam Narayan Rangaअयोध्या में राममंदिर बनेगा या नहीं अथवा वहाँ मस्जिद बनेगी या नहीं यह एक ज्वलंत मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। भारत की हर पार्टी का नेता इस मुद्दे को हवा देने की कोशिश कर रहा है। किसी पार्टी को लगता है कि मंदिर बनने से उसका आधार मजबूत होगा तो किसी को लगता है कि मस्जिद बनने से उसकी आवाज बुलंद होगी तो कोई पार्टी जैसा है वैसा ही रहने देने में अपना फायदा देख रही है। मतलब ये कि मंदिर और मस्जिद अब आम आदमी के नहीं पार्टीयों के मुद्दे रह गए ह। एक आम भारतीय को याद है कि जब विवादित ढाँचा टूटा था तो पूरे देश मे माहौल भयंकर खराब हुआ था इसलिए आम भारतीय न तो मंदिर की सोच रहा है न मस्जिद की वो तो ये सोच रहा है कि उसकी सुबह शाम की जिंदगी में कोई खलल पैदा न हो और वह चैन से जी सके। आज हमारे देश के सामने मंदिर मस्जिद बडे मुद्दे नहीं है । आज जहाँ आटा दाल के भाव आसमान छू रहे हैं वहाँ आम आदमी को अपने चूल्हा जलाने की चिंता है न की अयोध्या के राम और रहीम की। माना जा सकता है कि धर्म से जुडी चीज हर आदमी को प्रभावित करती है लेकिन रोटी से जुडी चीज धर्म को भी प्रभावित करती है और इसी लिए भारत का हर भारतीय सुख चैन के साथ अपनी रोजी रोटी 
Babri Msajid Demoliaton
चलाना चाहता है। राम मंदिर बने तो अच्छा है इस देश का हर हिंदू उसे देखने जरूर जाएगा और भगवान राम की जयकार कर वापस अपने घर लौट आएगा और अगर मजिस्द बने तो भी बढया है जिसमें नमाज अदा करने मुसलमान चले जाएंगे और वापस अपनी आम जिंदगी जीने लगेंगे। तो क्यो न इस देश के नेता और बडे बडे हूक्मरान अपना समय और धन इस बात में नहीं लगाते कि इस देश की आर्थिक स्थिति कैसे सुधारी जाए, प्रति व्यक्ति आय में कैसे बढोतरी की जाए सकल राष्ट्रीय आय को कैसे बढाया जाए और कैसे भारत के अस्सी प्रतिशत लोगों को भी बाकी बीस प्रतिशत की जिंदगी देने का प्रयास किया जाय। न तो मंदिर की घंटी से घर में रोटी बनेगी और न ही मस्जिद की अजान से चूल्हा जलेगा। रोटी और चूल्हा मेहनत करने से प्राप्त होगा तो क्यों नहीं इस देश के नेता इस बात में अपनी ऊर्जा खर्च करते की कैसे मेहनतकस को उसकी मजदूरी का पूरा हिस्सा मिले। जिस दिन इस देश में मेहनत ओर कर्म की कमाई की इज्जत होगी और प्रत्येक भारतीय को अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा उस दिन इस देश में एक मंदिर या एक मस्जिद तो क्या हजारों मंदिर और मस्जिद खडे हो जाएंगे और उनके खडे होने में किसी सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला नहीं सुनाना पडेगा। ऐसे मंदिरों में और मस्जिदों में जो सर सजदा होंगे और जो मह आरतियाँ गाएंगे उनके मन में न तो भय होगा और न ही नफरत, उन अजानों और आरतियों से एक ही आवाज आएगी
-- महजब नहीं सीखाता आपस में बैर रखना, हिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा........


श्याम नारायण रंगा ’अभिमन्यु‘ 
पुष्करणा स्टेडियम के पास, नत्थूसर गेट के बाहर, बीकानेर 

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