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घोडी जो खाती है पान, पीती है सिगरेट व ठण्डा

By SHYAM NARAYAN RANGA - Monday, July 20, 2009 1 Comment
संवेदनाऍं सिर्फ मानव में ही नहीं बल्कि हर प्राणी में होती है। संवेदनाओं का यह वेग मानव व जानवरों में एक जैसा देखा जाता है। अगर आप किसी से प्यार से बात करें तो हर आदमी आपसे प्यार से पेश आएगा और पशु भी प्रेम के बदले प्रेम देगा। जिस तरह बालको में हठ होता है उसी तरह पशुओं में भी हठ होता है। जिस तरह आदमी की इच्छाऍ, कामनाऍं होती है उसी तरह पशुओं की भी इच्छाऍ और कामनाऍं होती है। आईए आपको ऐसे ही एक अजूबे से रूबरू करवाते हैं।आपने आज तक आदमी को ही पान खाते, सिगरेट पीते और कोला कोला थम्सअप, सिट्र पीते हुए देखा होगा लेकिन जब यही आदत किसी पशु की हो और नियमित हो तो आप क्या कहेंगे। जी हाँ, हम बात कर रहे है एक घोडी की जिसका नाम है सुन्दरी। सुन्दरी आदमियों की तरह पान खाती है, पान की चैरी खाती है, सिगरेट पीती है और ठण्डे का भी शौक फरमाती है। आईए आपको भी मिलाते हैं इस सुन्दरी से । बीकानेर शहर के नत्थूसर गेट के अन्दर एक पान की दुकान है श्री श्रुति पान भण्डार। इस दुकान के मालिक है श्रीलाल जोशी जिन्हें सब लोग श्री भा के नाम से जानते हैं। इस दुकान पर रोजाना एक घोडी आती है और पान, चैरी और सिगरेट का अपना शौक पूरा करती है।दरअसल यह घोडी पास ही के एक व्यक्ति दिलीप की है जो रोजाना सुबह करीब नौ से दस बजे के बीच में अपनी घोडी को पानी पिलाने के लिए ले जाता है। पानी की इस कुण्डी के पास की स्थित है श्री भा की पान की दुकान। एक दिन यह घोडी पान की दुकान के आगे रूक गई और आगे चलने से मना कर दिया। अपनी घोडी का यह हठ दिलीप समझ न पाया। पान के दुकानदार श्रीभा ने जब यह देखा तो उन्होंने सोचा कि जैसे दिनभर छोटे बच्चे चैरी मांगने के लिए आते रहते हैं उसी तरह हो सकता है कि इस घोडी की भी ऐसी कोई इच्छा हो। यही सोचकर उन्होंने उसे एक पान व चैरी खिलाई। फिर क्या था यह सिलसिला रोज का हो गया और बिना पान खाए और चैरी खाए आज यह घोडी आगे नहीं बढती। इसी तरह एक दिन एक व्यक्ति पान की दुकान पर खडा सिगरेट पी रहा था घोडी भी सिगरेट की तरफ देखकर ईशारे करने लगी और इसके मालिक दिलीप ने इसे सिगरेट पिलाई और इस घोडी ने यह सिगरेट बडे शौक से पी। आज यह घोडी ठण्डा पीती है और पान खाती है। पान के दुकानदार श्री भा बताते हैं कि अगर एक दिन भी यह घोडी उनकी दुकान पर न आए तो उनका मन नहीं लगता और ज्यादा दिन हो जाए तो वे इसे बुलावा भेज देते हैं। श्री भा का मानना है कि घोडा भगवान रामदेवजी की सवारी होता है और यह भगवान रामदेवजी का आशीर्वाद है और यही समझकर वे इसे स्वीकार कर रहे हैं। इसी तरह दिलीप बताता है कि जब यहाँ आने का समय हो जाता है तो मेरी यह सुंदरी घर के आगे ही ईशारे करने लगती है कि अब उसे जाना है। इस पान की दुकान पर आने वाले ग्राहक भी यह देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि एक पशु पान खाता है और सिगरेट व ठण्डा पीता है। मानव व पशु प्रेम का यह अनूठा उदाहरण आज बीकानेर में चर्चा का विषय बना हुआ है और इसे देखने के लिए शहर भर के लोग इस श्रुति पान भंडार पर आते हैं। इस सारे प्रकरण से घोडी का मालिक दिलीप काफी खुश नजर आ रहा है। बीकानेर में इस उदाहरण ने यह साबित कर दिया है कि मानव व पशु एक दूसरे के सहयोगी है और प्रकृति ने इन्हें साथ रहने के लिए बनाया है। माना कि पशु बोल नहीं पाते लेकिन उनकी अपनी इच्छाऍं व कामनाऍं अवश्य होती है।

1 One Comment " घोडी जो खाती है पान, पीती है सिगरेट व ठण्डा "

Naresh Kadyan November 14, 2009 at 7:41 AM

This is not fair and a crime against animals as per section 3 and 11 of the Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960.