प्रेम, प्यार, लव और आशिकी,नाम सभी एक है,
भाषा है हमारी भिन्न भिन्न,लेकिन मनुष्य मनुष्य एक है,
फिर भी लड़ता है क्यों तू बन्दे,छोड़ खुदा, राम, ईसा को,
कह तू भारत भूमि वन्दे,
धर्म के नाम पर मत कर लड़ाई,
राम, रहीम, जान और सिंह,
हम सभी है भाई भाई,
जगत पीता ने हमें बनाया है समान,
फिर भी तू क्यों लड़ता है इंसान,
हाथ, पैर, सबको दिये हैं,
मेहनत करो कमावो,
खुद जीवो औरों को भी जीने दो,
पाठ सबको पढाओ
Poem By : (Shyam Narayan Ranga)
- श्याम नारायण रंगा
1 One Comment " मनुष्य मनुष्य एक है "
tumhare vichar aache hain lekin isko kavita k roop main swikar karna thoda janch nahi raha. kavita main kavita hoti hai vichar nahi iske liye lekh likha jaye to jyada behtar hai. plz mind mat karna mere dost. tum ispe or mehnat karo to ye ek aachi kavita ban sakti hai.. sambhavnao k sath tumhara dost
-gopal
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