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देवीसिंह भाटी भाजपा के कद्दावर राजपूत नेता ?

By SHYAM NARAYAN RANGA - Monday, September 24, 2007 No Comments
Devi Singh Bhati इसी का परिणाम था कि राजपूतों के इस शीर्ष नेता को भाजपा ने देश के एक शीर्ष पद तक पहचाया। जब भैंरोसिंह ने प्रदेश की भाजपा राजनीति से किनारा किया तो यह माना जाने लगा कि देवीसिंह भाटी अब भैंरोसिंह का स्थान लेंगे लेकिन हुआ यह कि देवीसिंह भाटी को भाजपा से बाहर कर दिया गया और सामाजिक न्याय मंच के प्लेटफार्म पर भाटी अकेले पडते नजर आए। भाजपा में फिर भी राजपूतों के नेता के तौर पर वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह ने पैर जमाने की कोशिश की लेकिन वसुंधरा राजे ने जसवंत सिंह के इन मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया हुआ यह कि जसवंत सिंह भाजपा में राजपूतों के वरिष्ठ नेता तो माने गए लेकिन जो कद भैंरोसिंह का था वह उन्हें न मिल सका। दूसरी तरफ चुरू के राजपूत नेता राजेन्द्र राठौड भी धीरे धीरे राजपूतों के बडे नेता के रूप में सामने आने लगे। देवीसिंह भाटी जब तक भाजपा में थे तब तक एकमात्र देवीसिंह को ही राजपूतों के नेता और भैंरोसिंह की जगह देखा जाता था लेकिन देवीसिंह के निष्कासन ने जसवंत सिंह व राजेन्द्र राठौड सरीखे नेताओं को एक मौका दिया। अब जब देवीसिंह की घर वापसी हो रही है तो इन राजपूत नेताओं का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है। जहाँ पिछले तीन सालों से राजेन्द्र राठौड एक उभरते राजपूत नेता के रूप में सामने आ रहे थे और मुख्यमंत्री के करीबी के तौर पर भी देखे जाते थे वहीं अब देवीसिंह भाटी के भाजपा में शामिल हो जाने से यह स्थान Jaswant singhदेवीसिंह को मिलेगा और निःसंदेह देवीसिंह भाटी के सामने राजेन्द्र राठौड का कद छोटा ही नजर आएगा और रही वसु मैडम के नजदीकी होने की बात तो वसु मैडम ने स्वयं पहल करके देवीसिंह भाटी को भाजपा में वापसी करवराई है तो मैडम में करीबी होने का फायदा तो देवीसिंह को जरूर मिलेगा। उधर वरिष्ठ भाजपा व राजपूत नेता जसवंत सिंह की बात करे तो जसवंत सिंह की वसुंधरा राजे से नाराजगी जग जाहिर है और हालात यह है कि जसवंत सिंह की पत्नी ने वसुंधरा के खिलाफ कोर्ट तक का रास्ता अख्तियार कर रखा है। जहॉ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जसवंत सिंह के विरोध का सामना करना पड रहा था वहीं अब देवीसिंह भाटी को भाजपा में शामिल करवाकर जसवंत सिंह व उनके समर्थकों को एक जबाब देने का प्रयास वसु मैडम ने जरूर किया है। देवीसिंह के भाजपा में आने से जो जगह राजपूतों के नेता को मिलनी चाहिए थी वह जगह अब देवींसह की होनी तय है। देवीसिंह की कार्यशैली से सारे लोग परिचित हैं और जानते हैं कि देवीसिंह के आने से जसवंत सिंह के कद पर भारी फर्क पडेगा। अब देखना यह है कि वसु मैडम के करीबी माने जाने वाले राजेन्द्र राठौड को देवीसिंह भाटी को भाजपा में लाने का मैडम का कदम कितना रास आता है और मैडम से उनके करीबी रिश्तों में कितना फर्क पडता है और जसवंत सिंह के कद पर यह कदम कितना फर्क डालता है। प्रदेश भाजपा के रातपूत नेता इस कदम से कितना संतुष्ट होते हैं और भाटी की वापसी को कितना पचा पाते है। राजेन्द्र राठौड व जसवंत सिंह जैसे नेता अगर भाटी की वापसी को पचाते है तो निश्चित तौर पर उन्हें अपने कद पर फर्क पडता नजर आएगा तो भाजपा के लिए अच्छी बात नहीं है और अगर भाटी की वापसी उन्हें नहीं पचती तो अर्न्तकलह से जूझ रही भाजपा को घाटा ही है।

Article by - Shyam Narayan Ranga 
              - श्याम नारायण रंगा


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